तेनालीराम की श्रेष्ठ हिंदी कहानियां
Tenali Raman Stories in Hindi
तेनाली राम कौन थे। Who was Tenali Ram?
तेनाली राम(Tenali Raman) विजय नगर राज्य के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक बहुत ही प्रसिद्ध मंत्री और सलाहकार थे। वह तेलगु भाषा के एक प्रसिद्ध कवि भी थे। वह दरबार के अष्ट दिगज्जों में जाने जाते थे। वह अपनी बुद्धिमानी के लिए जाने जाते थे। जब भी राजा कृष्णदेव राय किसी मुसीबत में फ़स जाते तो तेनाली रमन को ही सबसे पहले याद करते थे। वह अपनी चतुराई से सभी मुसीबतो को आसानी से सुलझा देते थे। कुछ ऐसे ही रोचक क़िस्से Tenali Raman Stories in Hindi में हम आपको बताने जा रहे है।
1. Tenali Raman Stories in Hindi – बीज का घड़ा
एक बार की बात है भरत और कुमार नाम के दो मित्र थे। भरत ने तीर्थयात्रा पर जाने का निर्णय किया। भरत के पास 5000 सोने के सिक्के थे। उसने सभी सोने के सिक्के एक घड़े में डाले और ऊपर से उसमे बीज डाल दिए।
जिससे यह लगे की पुरे घड़े में बीज ही है। वह यह घड़ा लेकर कुमार के घर गया। वह कुमार से बोला की मै अपने परिवार के साथ तीर्थ यात्रा के लिए जा रहा हूँ। मुझे एक वर्ष का समय लगेगा जब तक मै न लौटू तब तक यह घड़ा तुम अपने पास रख लो।
कुमार ने घड़ा अपने पास रख लिया। एक वर्ष भी बीत गया लेकिन भरत तीर्थयात्रा से नहीं लौटा। कुमार ने यह जानने के लिए की घड़े में क्या है पूरा घड़ा खाली कर दिया।
जब उसको घड़े के नीचे सोने के सिक्के मिले तो वह बहुत खुश हुआ। उसने सभी सोने के सिक्के ले लिए। इसके बाद उसने बाजार से नए बीज लाकर घड़े को भर दिया। कुछ दिनों बाद जब भरत तीर्थयात्रा से लौटा तो उसने कुमार से अपना घड़ा माँगा।
कुमार ने उसको वह घड़ा दे दिया। भरत घड़े में सोने के सिक्के न देखकर कुमार से अपने सोने के सिक्के मांगने लगा।
कुमार ने उसको अनजान बनकर कहा की कौन से सोने के सिक्के तुमने तो मुझको बीजों से भरा घड़ा दिया था। भरत कुमार को लेकर तेनाली रमन के पास गया। उसने तेनाली रमन को सारी बात बताई।
तेनाली रमन ने घड़े के बीजों को देखकर कहा की तुम कुमार के पास घड़ा डेढ़ वर्ष पहले छोड़ कर गए थे। लेकिन ये बीज तो नए लग रहे है। कुमार ने तुम्हारे घड़े में से सोने के सिक्के निकाल कर इसमें नए बीज बाजार से लाकर डाल दिए है।
कुमार फिर भी तेनाली रमन से मना करने लगा की उसने सोने के सिक्के नहीं निकाले। तेनाली ने कुमार को कहा की अब तुमको भरत को 10000 सोने के सिक्के लौटाने होंगे।
यह सुनकर कुमार आश्चर्य से बोला की लेकिन घड़े में तो 5000 सिक्के थे। उसके यह बोलने से यह तय हो गया की उसने ही सोने के सिक्के चुराई है। भरत ने तेनाली रमन की चतुराई की प्रशंसा की।
2. Tenali Raman Stories in Hindi – लालची ब्राह्मण
राजा कृष्णदेव राय की माता बहुत धार्मिक महिला थी। उन्होंने देश के सभी तीर्थ स्थलों की यात्रा की थी और बहुत सा दान भी दिया था।
एक बार उन्होंने कृष्णदेव राय से दान में आम देने की इच्छा जाहिर की। राजा ने अपनी माँ की इच्छा को पूरा करने के लिए रत्नागिरी से बहुत सी आम की पेटी मँगवायी। लेकिन जिस दिन दान करना तय हुआ था उससे पहले ही कृष्णदेव राय की माता की मृत्यु हो गयी।
राजा ने पुरे नियम के साथ अपनी माता का किर्या कर्म किया। जब उनको अपनी माँ की आम दान करने की इच्छा याद आयी तो उन्होंने ब्राह्मण को बुलाकर उनसे पूछा की मेरी माँ की अंतिम इच्छा आम दान करने की थी।
अब उनको क्या करना चाहिए। जो ब्राह्मण आये थे वह लालची थे। उन्होंने राजा से कहा की उनको अपनी माँ की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए सोने के बने आम उनको दान करना चाहिए।
राजा ने ब्राह्मणों को सोने के बने आम दान में दिए। जब तेनाली रमन को यह पता चला तो उन्होंने भी अपनी माँ की आत्मा की शांति के लिए उन्ही तीन ब्राह्मणों को बुलाया। जब तीनो ब्राह्मण घर में आ गए तो तेनाली रमन ने सभी खिड़की दरवाजे बंद कर दिए।
इसके बाद तेनाली ने लोहे के गर्म सरिये को अपने हाथ में ले लिया। जब ब्राह्मणो ने तेनाली से पूछा की तुम क्या कर रहे हो। तेनाली रमन ने कहा की मेरी माँ की अंतिम इच्छा थी की मै गर्म सरिये को उनके घुटने में लगा दू जिससे उनका घुटना ठीक हो जाये।
अब मेरी माँ तो रही नहीं इसलिए मै यह आपके साथ यह करके अपनी माँ की आत्मा की शांति करना चाहता हूँ। ब्राह्मणों ने कहा की यह तुम गलत कर रहे हो।
तेनाली ने कहा जिस तरह आपने सोने के आम लेकर राजा की माँ की आत्मा की शांति करी थी। वैसे ही आप इस तरीके से मेरी माँ की आत्मा की शांति भी कर दो। तेनाली की यह बात सुनकर ब्राह्मणों ने तेनाली से और राजा से माफ़ी मांग कर सोने के आम वापस करे।
तेनाली ने राजा को समझाया की इस तरह लालची ब्राह्मणों के चक्कर में पड़ कर राजकोष को खर्च न करे।
3. Tenali Rama Story in Hindi – असली सजावट
एक बार विजयनगर राज्य के बाहरी इलाके में खुदाई का काम चल रहा था। वहाँ पर खोदने पर लोगों को एक विष्णु की प्रतिमा मिली। वह जगह भी विजयनगर इलाके में आती थी।
इसलिए राजा कृष्णदेव राय को सूचित किया गया। कृष्णदेव राय अपने मंत्रियो के साथ उस विष्णु की प्रतिमा को देखने के लिए वहाँ पहुंच गए। राजा और उनके मंत्रियो ने विष्णु की प्रतिमा को देखकर निर्णय किया की वहाँ पर पहले जरूर विष्णु का मंदिर होगा।
जो समय के साथ जमीन के नीचे दब गया होगा। राजा ने मंत्री को वहाँ फिर से बड़ा विष्णु मंदिर बनाने के लिए बोला। इसके साथ साथ आस पास बगीचा बनाने को बोला। इसके बाद राजा वहाँ से चले गए। कुछ समय बाद जब मंदिर और बगीचे का काम पूरा हो गया तो राजा देखने के लिए दोबारा आये।
राजा ने जब देखा की मंदिर बहुत ही सुन्दर बना है। जब वह बगीचे में घूम रहे थे तो उनने मंत्री से कहा की यहाँ कुछ कमी है। मंत्री राजा से बोला महाराज मैंने इस बगीचे में सब प्रकार के फूल और फल के पौधे लगवाए है।
जिससे जो भी भक्त मंदिर के दर्शन करने आये तो यहाँ के फूल और फल का प्रयोग कर सके। राजा ने कहा वो सब तो ठीक है लेकिन फिर भी इस बगीचे में कुछ कमी रह गयी।
तेनाली रमन ने राजा को कहा महाराज आप जिस कमी की बात कर रहे वो दूसरी तरफ है। तेनाली ने राजा को बगीचे की दूसरी तरफ खुद का लगाया हुआ तुलसी का पौधा दिखाया। राजा ने कहा की विष्णु भगवान की पूजा बिना तुलसी के पत्तों के अधूरी होती है।
जब मंत्री को यह बात पता लगी तो वह शर्मिंदा हो गए की वह बगीचे की इस कमी को न जान सके जो की बगीचे की असली सजावट है। राजा ने तुलसी का पौधा लगाने पर तेनाली की तारीफ की।
4. Tenali Raman Stories in Hindi – जादू की शक्ति
एक बार विजयनगर राज्य में बहुत गर्मी पड़ी। तेनाली रमन राजा कृष्णदेव राय से 15 दिन की छुट्टी लेकर अपने गांव चले गए। 15 दिन बीत जाने के बाद भी तेनाली रमन नहीं लौटे तो राजा को चिंता होने लगी उन्होंने अपने सेनिको को तेनाली रमन के गांव भेजा।
तेनाली की अनुपस्थिति में कुछ मंत्री राजा को तेनाली के खिलाफ भड़काने लगे। तेनाली रमन 1 महीने के बाद खुद ही दरबार में उपस्थित हो गए। राजा ने तेनाली से कहा की तुमने 15 दिन के बाद लौटने को बोला था।
इस पर तेनाली रमन ने कहा की महाराज 15 दिन के बाद मै गांव में ही एक जादूगर से जादू सिखने लग गया था। अब मुझे बहुत अच्छा जादू आता है। मै अब नदी नहरें गायब कर सकता हूँ।
उसकी यह बात सुनकर राजा और सभी दरबारी हॅसने लगे। तेनाली ने फिर से कहा यदि आप को मेरी बातों पर भरोसा न हो रहा हो तो मै इसको साबित कर सकता हूँ। राजा ने कहा ठीक है कल हम तुम्हारे साथ चलेंगे।
अगले दिन तेनाली राजा और कुछ मंत्रियो के साथ विजयनगर राज्य में चले गए। वहाँ पहुंचने के बाद तेनाली ने राजा से कहा की महाराज मैंने 4 नहरें ग़ायब कर दी है। यदि आपको भरोसा न हो रहा हो तो आप मंत्री से पूछ लीजिये।
आपने 7 नहरे बनाने को कहा था लेकिन अभी यहाँ केवल 3 नहरे है। इस बात को सुनकर राजा को पता चल चूका था की मंत्री ने बेईमानी की है सही से नहरे, नदी बनाने का काम नहीं किया। मंत्री इस बात पर बहुत शर्मिंदा हुआ और राजा से माफ़ी मांगने लगा।
राजा ने उसको कारावास की सजा सुनाई। तेनाली ने राजा से कहा महाराज मै 15 दिन के बाद गावों का दौरा कर रहा था। जिससे मुझे यह पता लगा की गांव में बहुत सी नहरें, नदी खुदाई का काम नहीं हुआ है। राजा ने तेनाली को इस बात पर प्रसन्न होकर इनाम दिया।
5. Tenali Raman Ki Kahani – गुप्त बात
एक बार की बात है कृष्णदेव राजा के दरबार में सुन्दर नाम का एक मंत्री था। जो तेनाली को पसंद नहीं करता था। क्योकि तेनाली ने उसका एक दो बार अपमान किया था। उसके साथ राज पंडित भी तेनाली को पसंद नहीं करता था क्योकि तेनाली उसको कोई भाव नहीं देता था।
सुन्दर और राज पंडित साथ बैठकर तेनाली की बुराई करता और उसको सबक सिखाने की कहता था। सुन्दर ने राजा को तेनाली के खिलाफ भड़काने की साजिश बनाई। वह राजा के पास गया और बोला की तेनाली हमारे राज्य के लोगों को मुर्ख बना रहा है।
और वह आपके खिलाफ भी बोल रहा है। राजा ने सुन्दर को कहा की तुमको जो भी शिकायत है राज सभा में कहो। इसके बाद सुन्दर चला गया। राजा ने सोचा बहुत दिन से सुन्दर तेनाली के खिलाफ कह रहा है शायद इसमें कोई सच्चाई हो।
राजा ने दरबार में तेनाली से पूछा की तुम्हारे बारे में बहुत शिकायत मिल रही है और तुम मेरे खिलाफ भी बोलते हो क्या यह सच है ? इस पर तेनाली ने कहा की महाराज इस बात का उत्तर मै कुछ दिन में दूंगा।
राजा ने कहा की जब तक तुम इस बात का उत्तर न दो तब तक तुमको दरबार में आने की जरुरत भी नहीं है। इसके बाद तेनाली चला गया। तेनाली रात में राजा को सुन्दर के घर लेकर गया। जहाँ पर राज पंडित भी थे।
सुन्दर राज पंडित को कह रहा था की मैंने राजा को तेनाली रमन के खिलाफ जो भी बात बोली राजा ने उसको सच समझ लिया। वह यह कहकर खुश हो रहा था लेकिन राज पंडित कुछ नहीं बोला। अब राजा को समझ आ चूका था की सुन्दर झूठ बोल रहा है।
इसके साथ वह राज पंडित को भी भड़का रहा है। राजा ने तेनाली को कहा की वह कोई तरकीब लगा कर राज पंडित को सुन्दर से अलग करे। तेनाली ने कुछ दिनों बाद एक भोज आ आयोजन किया जिसमे सुन्दर और राज पंडित को भी बुलाया।
तेनाली राम ने खुद का और सुन्दर का खाना साथ में लगाया जबकि राज पंडित का खाना थोड़ी दूर लगाया। खाने के दौरान तेनाली राम सुन्दर के कान में बिना कुछ बात बोले फुसफुसाने लगा और खाने के बाद तेनाली ने कहा की इस गुप्त बात को किसी को मत कहना।
राज पंडित ने जब सुन्दर से उस गुप्त बात के बारे में पूछा तो सुन्दर ने कहा की तेनाली ने उसके कान में कुछ नहीं बोला। इसके बाद राज पंडित ने सोचा की सुन्दर जरूर मुझसे कुछ बात छुपा रहा है।
पहले तो यह तेनाली की मुझसे चुगली किया करता था। इसके बाद से राज पंडित सुन्दर से अलग रहने लगे। जब तेनाली ने राजा को इस बारे में बताया तो वह बहुत खुश हुए और उनने तेनाली की तारीफ की।
6. Tenali Raman Stories in Hindi – तेनाली का नाटक
एक बार राजदरबार में तेनाली रमन को नींद आ रही थी। जब राजा कृष्णदेव राय ने यह देखा तो उन्होंने तेनाली रमन से कहा की यह राजदरबार है तुम्हारा घर नहीं है। तुम इस सभा की बेश्ती कर रहे हो। तुम्हारी सजा यह है की तुमको कुछ दिनों के लिए दरबार से निकाला जाता है।
जब तेनाली रमन ने यह सुना तो वह चुपचाप वहाँ से चले गए जैसे कुछ हुआ ही न हो। इस पर एक मंत्री ने राजा को कहा की देखा महाराज आपने तेनाली रमन के तेवर उसको इस बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ता।
राजा ने भी इस बात पर सहमति जताई। कुछ दिनों के बाद एक ब्राह्मण लड़का दरबार में आया। वह राजा से बोला महाराज कुछ दिन पहले तेनाली रमन नाम का आपका मंत्री हमारे आश्रम में रहने के लिए आया। हमारे गुरु जी की इजाजत से वह आश्रम में ही रहने लगा।
किन्तु आज सुबह जब वह नदी में स्नान करने के लिए गया तो उसका पैर फिसल गया जिससे वह नदी में डूब गया। हमारे गुरूजी ने उसको बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन बचा नहीं सके। नदी से उसका शरीर भी नहीं मिला।
यह बात सुनकर राजा बहुत भावुक हो गए और बोले मेरा अच्छा मित्र नदी में डूब गया। दरबार में मौजूद मंत्री भी इस बात पर शोक करने लगे। राजा ने ब्राह्मण लड़के से कहा की मुझे तुम्हारे गुरु जी से मिलना है। जिसने मेरे तेनाली रमन को अंतिम दिनों में अपने आश्रम में सहारा दिया।
इसके बाद लड़का राजा को आश्रम में लेकर गया। वहाँ पर लड़के के गुरु अपने आसान पर बैठे थे। राजा ने गुरु जी से सारी बात पूछी। उन्होंने गुरु जी से कहा की क्या आप मुझे उस जगह ले जा सकते है जहाँ पर फिसल कर तेनाली डूब गया था।
गुरु जी ने कहा की तुम उस जगह को क्यों देखना चाहते हो यदि तुम चाहो तो मै तुम्हे तेनाली रमन से अभी मिलवा सकता हूँ। इसके लिए तुमको अपनी आँखे बंद करनी होंगी।
राजा ने अपनी आँखे कुछ समय के लिए बंद की जब उन्होंने अपनी आँखे खोली तो तेनाली रमन को अपने सामने पाया। राजा ने तेनाली रमन को गले लगा लिया और बात की। राजा ने तेनाली से पूछा गुरु जी कहाँ गए।
तेनाली रमन ने कहा की मै ही गुरू जी हूँ और मै ही तेनाली। इसके बाद राजा को तेनाली रमन के नाटक का पता चल चूका था। लेकिन राजा तेनाली रमन को पाकर बहुत खुश थे।
7. Tenali Raman Stories in Hindi – सबसे बड़ा जादूगर
एक बार की बात राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक जादूगर आया। उसने कहा की वह देश विदेश में बहुत जगह जादू दिखा चूका है और उसको बहुत इनाम मिले है। राजा के कहने पर उसने अपना जादू दिखाना शुरू किया।
उसने कहा की यह जादू एक प्रकार की हाथों की सफाई होता है। अगर किसी की नज़रे तेज़ हो तो वह इसको पकड़ भी सकता है।
आप सब इस जादू को ध्यान से देखिये। उसने एक कबूतर के ऊपर लाल कपड़ा डालकर उसको अंडे में बदल दिया। वह बोला किसी ने देखा मैंने कैसे कबूतर को अंडे में बदल दिया। किसी को मेरे हाथ की सफाई का पता लगा मैंने यह कैसे किया।
क्या यहाँ दरबार में सभी लोगों की आँखे कमजोर है। इसके बाद उसने उस अंडे के ऊपर लाल कपड़ा डाला और उसको सोने के सिक्के में बदल दिया। इसके बाद भी उसने सभी लोगों से पूछा किसी को मेरे हाथ की सफाई नज़र आयी।
उसने तेनाली रमन को कहा की तुम तो बहुत बुद्धिमान हो। लेकिन इस जादू के खेल में बुद्धिमानी काम नहीं आएगी। तुमको तेज़ नज़रो से इसको पकड़ना होगा। फिर उस जादूगर ने कहा की ध्यान से देखना कैसे मै इस सोने के सिक्के को हवा में गायब करता हूँ।
इसके बाद उसने सोने के सिक्के को ऊपर फेंका और वह गायब हो गया। जिससे सभी दरबार के लोग हैरान रह गए। उसने तेनाली रमन को कहा की तुम्हारी आँखे भी कमजोर है। तुम भी मेरा जादू नहीं पकड़ सके।
इसके बाद वह दरबार में मौजूद सभी लोगों को कहने लगा की कोई ऐसा व्यक्ति है जो मेरे जैसा कुछ करके दिखा सकें। उसके घमंड को देखते हुए तेनाली रमन ने कहा की मै जो बंद आँखों से कर सकता हूँ। उसको तुम खुली आँखों से भी नहीं कर सकते।
उसकी बात सुनकर जादूगर बोला जो तुम बंद आँखों से करोगे अगर मै खुली आँखों से भी नहीं कर सका तो मै तुम्हारा गुलाम बन जाऊंगा। यदि मैंने वह कर लिया तो तुम मेरे गुलाम बन जाओगे। जब यह बात तय हो गयी तो तेनाली रमन के कहने पर एक सैनिक लाल मिर्च का पाउडर लेकर आया।
तेनाली ने अपनी आँखे बंद की और लाल मिर्च के पाउडर को अपनी आँखों के ऊपर डाल दिया। उसके बाद अपनी आंखे खोल ली। यह देखकर जादूगर ने सोचा अब तो मै फ़स गया हूँ। अगर मैंने मिर्च का पाउडर अपनी आँखों में डाला तो मेरी आँखे फुट जाएँगी।
अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो मुझे तेनाली रमन का गुलाम बनना पड़ेगा। उसने तेनाली रमन से माफ़ी मांगी की आप बहुत बुद्धिमान है मै आपकी गुलामी को स्वीकार करता हूँ। तेनाली रमन ने कहा की मै तुम्हे गुलाम नहीं बनाना चाहता।
मै चाहता हूँ की तुम अपना घमंड और बदतमीजी छोड़ कर जादू का खेल दिखाओ और सभी लोगों की इज्जत करो। जादूगर ने कहा की आगे से वह ऐसा ही करेगा। इसके बाद वह चला गया।
राजा ने तेनाली रमन से कहा मैंने तुमसे बड़ा जादूगर नहीं देखा जिसने बत्तमीज और घमंडी जादूगर को कुछ देर के अंदर ठीक कर दिया। इसके बाद सब दरबारी हॅसने लगे।
8. अद्भुत कपड़ा | Tenali Rama Story Hindi
9. सबसे कीमती वस्तु | Short Stories of Tenali in Hindi with Moral
10. गुलाब | Tenali Raman Short Stories Hindi Language
11. धरती पर स्वर्ग | Tenali Raman and Krishnadevaraya Story
12. पानी का कटोरा | Tenali Raman Short Stories Hindi
13. पैतृक धन | Tenali raman short story
14. रसगुल्ले की जड़ | Tenali rama story in hindi
Final Words:
हमें उम्मीद है की आपको Tenali Raman Stories in Hindi में पढ़कर बहुत आनंद आया होगा। यदि आपको तेनाली रमन की हिंदी कहानियाँ पसंद आयी हो तो आप इसके बारे में नीचे कमेंट कर सकते है।
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