
Tenali raman short stories hindi language: एक बार की बात है विजयनगर में वसंत ऋतु का समय था। चारों तरफ अच्छे अच्छे फूल खिले थे।
हर तरफ हरियाली थी। पक्षी चह चहा रहे थे। राजा कृष्णदेव राय के दरबार में एक मंत्री ने राजा को सुझाव दिया की। महाराज इतना अच्छा मौसम है हमको बाहर कहीं घुड़सवारी के लिए जाना चाहिए।
राजा ने भी इस पर सहमति जताई। इसके अगले दिन राजा अपने कुछ मंत्रियों और तेनाली राम के साथ घोड़े पर सवार होकर दूर निकल गए।
राजा एक जगह पहुंचे जहाँ पर बहुत सारे फूल थे। वहाँ पर गुलाब के फूल भी थे। राजा गुलाब की सुंदरता को देख कर अपने घोड़े से नीचे उतर गए। वह अपने मंत्रियो से बोले कितने अच्छे गुलाब के फूल है।
यह क्या कहना चाहते है। एक मंत्री बोला महाराज ये यह कह रहे है की जिस तरह इन फूलों की ख़ुश्बू पुरे जंगल में फैली है।
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उसी तरह आपकी कीर्ति भी पुरे संसार में फैले। इसके बाद दूसरे मंत्री ने भी राजा की प्रशंसा में बात रखी। इसके बाद सभी मंत्री राजा की प्रशंसा में कुछ कुछ बोले।
तेनाली चुपचाप यह सब सुन रहे थे। इस पर राजा ने तेनाली को कहा तुम भी कुछ बोलो की यह गुलाब क्या कह रहे है। एक मंत्री ने कहा की महाराज हम आपकी प्रशंसा कर रहे है। इससे तेनाली को जलन हो रही है।
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इसलिए वह कुछ नहीं बोल रहे। तेनाली ने कहा महाराज ऐसा कुछ नहीं है। मै इसलिए चुप हूँ। क्योकि गुलाब के फूल में कांटे भी होते है।
राजा ने पूछा तुम कहना क्या चाहते हो तेनाली। तेनाली ने एक मंत्री के जेब से एक सन्देश निकाला और राजा को दिखाया।
जिसमें पड़ोस के राजा ने एक मंत्री को लिखा था यदि वह उस दिन राजा को किसी तरह गुलाब के बाग़ में लाए। क्योकि राजा को गुलाब बहुत पसंद है।
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इस समय में हम राज्य में लूट कर सकेंगे। और लूट का कुछ हिस्सा उस मंत्री को भी देंगे। मंत्री राजा के सामने गिड़गिड़ाने लगा की उसको माफ़ कर दे।
लेकिन राजा ने सेनिको से कहा की उस मंत्री को बंदी बना ले। राजा ने तेनाली की होशियारी की तारीफ की और कहा की हमें फूलों की सुंदरता से पहले राज्य की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।