Lomdi Ki Kahani | लोमड़ी की कहानी हिंदी में
Lomdi Ki Kahani : एक बार की बात है एक व्यापारी शहर से अपना सामान लेकर अपने घर जा रहा था। उसके पास बहुत सा सामान था। जिसे उसने कई सारे ऊटो के ऊपर लाद रखा था। रास्ते में एक जंगल पड़ता था। जब वह अपने ऊटो के साथ जंगल से गुजर रहा था। एक ऊट थकान के कारण बैठ गया। व्यापारी ने सोचा इसके ऊपर ज्यादा सामान था इसलिए यह थक गया होगा।
व्यापारी ने उस ऊट का सामान उतार कर दूसरे ऊटो के ऊपर रख दिया और वहाँ से यह सोचकर कर दूसरे ऊटो के साथ चल पड़ा की ऊट अपनी थकान मिटा कर उनके पीछे आ जायेगा। लेकिन जब थका हुआ ऊट कुछ देर बाद उठा तो वह जंगल में रास्ता भटक गया। लेकिन उसने सोचा कोई बात नहीं मुझे जंगल में खाने के लिए घास तो मिल ही जाएगी। वह जंगल में जा रहा था तो उसको एक शेर मिला। शेर के साथ चालाक लोमड़ी, तेंदुआ और कौआ थे।
शेर ने ऊट से कहा की तुम यहाँ पहले जंगल में तो कभी दिखाई नहीं दिए। ऊट ने शेर से अपनी सारी कहानी बताई। इसके बाद शेर ने कहा की तुम इस जंगल में हमारी शरण में हो। अब कोई तुम्हे नुक्सान नहीं पहुंचा सकता। इसके बाद ऊट जंगल में रहने लगा। कुछ दिनों के बाद शेर की हाथी से भिड़ंत हो गयी। जिसमे शेर घायल हो गया और शिकार करने के लायक नहीं रहा। वह जाकर अपनी गुफा में रहने लगा।
शेर के साथ रहने वाले चालाक लोमड़ी, तेंदुआ और कौआ अपने खाने के लिए शेर पर ही निर्भर थे। जब शेर शिकार करता तो वह खाते थे। शेर के शिकार न करने पर वह भी भूखे थे। एक दिन लोमड़ी शेर की गुफा में गया और शेर से ऊट को मारकर खाने की सलाह दी क्योंकि वह बहुत बड़ा है। जिससे बहुत दिनों तक उनके खाने का इंतजाम हो जायेगा। इस पर शेर ने लोमड़ी से कहा की मैंने ऊट को अपनी शरण में रखा हुआ है। मै ऊट को नहीं मार सकता।
Chalak Lomdi Ki Kahani
लोमड़ी बड़ा चालाक था। उसने शेर से कहा की यदि ऊट आकर आपसे खुद अपने आप को खाने को कहता है तब तो आपको कोई आपत्ति तो नहीं होगी। शेर ने काफी सोचने के बाद कहा की यदि ऊट खुद आकर खाने को कहता है तो मुझे उसको मारने में कोई आपत्ति नहीं होगी। इसके बाद चालाक लोमड़ी, तेंदुआ और कौआ मिलकर ऊट के पास गए और ऊट से कहा की शेर ने बहुत दिन से कुछ नहीं खाया।
अब शेर भूख से मरने वाला है इसलिए हमकों जाकर शेर से कहना चाहिए की वह हम सब में से किसी एक को खा ले और अपनी भूख मिटा ले। इसके बाद सभी मिलकर शेर की गुफा में गए। वहाँ जाकर सबसे पहले कौए ने शेर से कहा की आप बहुत दिनों से भूखे है आप मुझे मारकर खा लीजिये और अपनी भूख मिटा ले। कौए की बात सुनकर लोमड़ी ने कहा की कौए तुम बहुत छोटे हो।
तुम को खाने से शेर की भूख नहीं मिटेगी इसलिए आप मुझे खा लीजिये। लोमड़ी की बात पर तेंदुआ बोला लोमड़ी तुमसे बड़ा तो मै हूँ इसलिए शेर आप मुझे खा लीजिये। उनकी बात सुनकर ऊट ने सोचा शेर किसी को नहीं खा रहा इसलिए मुझे भी शेर से खुद को खाने को कहना चाहिए। इसके बाद ऊट ने भी शेर से खुद को खाने को कहा। उसके यह कहते ही शेर को लोमड़ी की बात याद आ गयी।
जिसमे उसने कहा था की यदि ऊट खुद आकर अपने आप को खाने को कहेगा तो शेर उसका शिकार करेगा। शेर ने इसके बाद ऊट को मार गिराया और चालाक लोमड़ी, तेंदुआ और कौए ने बड़े ऊट का मांस कुछ दिनों तक खाया। इस तरह चालाक लोमड़ी की चतुराई से ऊट को अपनी जान गवानी पड़ी।
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