Tota Maina Ki Kahani

Tota Maina Ki Kahani Hindi Mein | तोता मैना की कहानी हिंदी में

Tota Maina Ki Kahani
Tota Maina Ki Kahani

Tota Maina Ki Kahani Hindi Mein

Tota Maina Ki Kahani Hindi Mein: एक बार की बात है एक गांव में एक तोता एक पिंजरे में कैद होता है। उसको उसके मालिक ने पिंजरे में रखा होता है। वह उस पिंजरे से निकलना चाहता है लेकिन बिना किसी सहारे के वह ऐसा नहीं कर सकता। एक दिन एक मैना उड़ते हुए उस गांव में पहुंचती है। वह तोते के पास जाती है और तोते से पूछती है कि तुम इस पिंजरे में कैसे कैद हुए।

तब तोता बताता है कि मैं पहले एक जंगल में रहता था जहां पर बहुत से शिकारी आते थे। एक दिन एक शिकारी ने मुझे और मेरे कुछ दोस्तों को कैद करके शहर में बेच दिया। जिसके बाद इस घर के मालिक ने मुझे खरीद कर पिंजरे में रख दिया। मैं अब इस पिंजरे में नहीं रहना चाहता। मैं भी तुम्हारी तरह आजाद घूमना चाहता हूं। इसमें क्या तुम मेरी मदद करोगी।

मैना ने तोते को कहा कि बिल्कुल मैं इस पिंजरे से निकलने में तुम्हारी अवश्य मदद करूंगी। मैना की सहायता से तोता पिंजरे से आजाद हो गया। इसके बाद मैना तोते को लेकर एक जंगल में गई। जहां पर मैना एक पेड़ में घोसले पर रहती थी। तोते ने मैना का घोसला देखकर कहां कि तुम्हारा घोंसला तो बहुत सुंदर है। और इस पेड़ में कितने मीठे मीठे फल लगते हैं। मैना ने कहा कि मैं तुम्हारी भी घोंसला बनाने में मदद करूंगी।

तुम तब तक मेरे घोसले में रह सकते हो। मैना की मदद से तोते ने कुछ दिनों में एक सुंदर सा घोंसला तैयार कर लिया। इसके बाद तोते ने कहा कि तुमने मेरी दो बार मदद की है। एक बार मुझे पिंजरे से आजाद कराकर अब घोसला बनाकर मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगा।

तोता मैना की कहानी हिंदी में

इस पर मैना ने कहा कि जब भी मुझे मदद की जरूरत पड़े तो तुम भी मेरी सहायता कर सकते हो। इसके बाद तोता मैना की दोस्ती बढ़ती गई। जब भी जरूरत पड़ती तो तोता मैना एक दूसरे के काम आते और एक दूसरे की सहायता करते थे।

यह बात पूरे जंगल में सभी जानवरों को पता लग गयी जिससे सभी उन दोनों की दोस्ती की दाद देते थे। एक दिन जंगल मैं भयंकर आग लग गई। जिसके कारण सभी जानवर तो वहां से जल्दी से भाग गए। लेकिन पक्षी धुंए के कारण उस जंगल से निकलने में असमर्थ थे। इसलिए तोता मैना ने मिलकर पक्षियों की सहायता करने की सोची।

वह दोनों एक डंडे की सहायता से अन्य पक्षियों को जंगल से निकाल कर एक तालाब में ले जाने लगे। उन्होंने सभी पक्षियों को तालाब तक पहुंचाया लेकिन बाद में तोता मैना खुद उस जंगल की आग में फस गए। जंगल में आग काफी बढ़ चुकी थी। जिसके कारण पूरे जंगल में धुआं हो चुका था। जिससे तोता मैना को कुछ भी नजर नहीं आ रहा था।

मैना ने तोते को आवाज दी कि मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है और मुझे साँस लेने में भी दिक्कत आ रही है। तभी तोते ने भी कहा कि मुझे भी कुछ नहीं दिखाई दे रहा है। इसके बाद पहले मैना जंगल की आग में समा गयी और अपने प्राण त्याग दिए। तोता मैना को आवाज़ देता रहा उसे नहीं पता था की मैना जिन्दा भी है या नहीं। तोता भी इधर उधर बिना कुछ दिखे उड़ता रहा और आग की चपेट में आ गया।

कुछ समय बाद भी तोता और मैना तालाब में नहीं पहुंचे तो अन्य पक्षियों को समझ आ गया कि तोता मैना हमारी मदद करते करते उस आग की भेंट चढ़ गए। जिससे सभी पक्षियों और जानवरों ने उनकी मौत का शोक मनाया। इस तरह तोता मैना की सच्ची दोस्ती अमर हो गई।

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