
Hanuman ji Ki Kahani in Hindi | हनुमान जी की कहानी
Hanuman ji Ki Kahani in Hindi: दोस्तों आज हम आपको वीर बजरंगबली हनुमान के जीवन की कहानी के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं कि वीर बजरंगबली हनुमान जी का जन्म कैसे हुआ।
बजरंगबली श्री हनुमान की माता अपने पूर्व जन्म में इंद्राज के दरबार में एक अप्सरा थी। वह बहुत सुंदर थी। उसका नाम पुंजिकस्थला था। वह बहुत चंचल स्वभाव की थी। एक दिन उसने इसी चंचलता के कारण ध्यान में लीन एक साधु के साथ अभद्र व्यवहार किया।
जिसके कारण उसे गुस्सा आ गया तो उन्होंने पुंजिकास्थला को श्राप दिया कि तुम वानरी का रूप धारण कर लोगी। अपनी इस हरकत के कारण पुंजिकस्थला को आत्मग्लानि हुई। जिसके कारण उसने ऋषि से क्षमा मांगी। ऋषि ने पुंजिकास्थला को कहा कि हालांकि तुम वानरी का रूप धारण कर लोगी। लेकिन तुम बहुत तेजस्वी होगी और भगवान शिव शंकर के अवतार को जन्म दोगी।
इसके बाद एक दिन इंद्र ने पुंजिकास्थला से प्रसन्न होकर कहा कि तुम जो चाहो वह मुझसे मांग सकती हो। पुंजिकास्थला ने इंद्रदेव को बताया की कैसे ऋषिवर ने उसको श्राप दिया जिससे वह जब भी किसी युवक की ओर आकर्षित होगी तो वह वानरी का रूप धारण कर लेगी।
वह अब श्राप से मुक्ति पाना चाहती है। इन्द्र ने पुंजिकास्थला को कहा की हालांकि तुम वानरी का रूप धारण करोगी लेकिन तुम जिस युवक से आकर्षित होगी। वह तब भी तुमको स्वीकार करेगा। जब तुम शिव शंकर के अवतार को जन्म दोगी तो तुमको इस श्राप से मुक्ति मिल जाएगी।
इसके बाद इंद्र के कहने पर पुंजिकास्थला अंजनी के रूप में धरती पर आ गयी। एक दिन जब वह ऐसे ही भ्रमण कर रही थी तो उनको एक युवक दिखाई दिया। अंजनी उस युवक की तरफ आकर्षित हो गयी। जिससे उसका चेहरा वानरी का हो गया। अंजनी ने अपना चेहरा युवक से छुपा लिया।
जब वह युवक अंजनी के पास आया तो उसने अंजनी से अपना चेहरा दिखाने को कहा। अंजनी ने कहा की मेरा चेहरा बहुत बदसूरत है। लेकिन जब अंजनी ने देखा तो वह युवक भी वानर के रूप में है। युवक ने अंजनी को बताया की वह वानरराज केसरी है। वह जब चाहे तब मनुष्य का रूप धारण कर सकता है।
इसके बाद अंजनी को केसरी से प्रेम हो गया और उन दोनों ने विवाह कर लिया। शादी के बाद भी बहुत समय तक उनकी कोई संतान नहीं हुई। संतान की इच्छा को लेकर एक दिन अंजनी मातंग ऋषि के पास पहुंची तो मातंग ऋषि ने अंजनी को 12 बरस तक नारायण पर्वत स्थित स्वामी तीर्थ जाकर उपवास करके तप करने को कहा।
अंजनी ने संतान प्राप्ति के लिए ऐसा ही किया। अंजनी की तपस्या से प्रसन्न होकर वायुदेव ने अंजनी को वरदान दिया की तुमको बहुत बलशाली पुत्र प्राप्त होगा। यह वरदान मिलने के बाद अंजनी शिव की तपस्या करने लगी। शिव जी भी अंजनी की तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा।
अंजनी ने शिव जी को ऋषि के श्राप की बात बताई और कहा की यदि मै आपके अवतार को जन्म दूंगी तो ही मेरा कल्याण होगा इसलिए कृपया करके आप मेरे गर्भ से जन्म लीजिये। शिव जी ने अंजनी को आशीर्वाद दिया। इसके बाद शिवजी ने हनुमान के रूप में अंजनी के गर्भ से जन्म लिया।
Final words:
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