Short Stories of Tenali in Hindi with Moral
Short Stories of Tenali in Hindi with Moral: एक बार की बात है राजा कृष्णदेव राय उड़ीसा राज्य पर विजय प्राप्त करने के बाद विजयनगर लौटे। उनकी विजय से प्रसन्न होकर पुरे विजयनगर को सजाया गया और कृष्णदेव राय की शानदार स्वागत किया गया।
अगले दिन दरबार में कृष्णदेव राय ने कहा की यह विजय मेरे लिए बहुत ही ख़ास है इसके लिए हम कुछ ऐसा करना चाहते है जिससे यह विजय यादगार रहे। एक मंत्री ने राजा को सलाह दी की आप एक विजय स्तम्भ को चौक पर बनवाये। राजा को यह सुझाव पसंद आया।
राजा ने कहा की राज मिस्त्री को बुलाकर इसका निर्माण जल्द से जल्द कराया जाये। इसके बाद राज मिस्त्री विजय स्तम्भ के निर्माण कार्य के लिए लग गया। उसने विजय स्तम्भ बनाने के बाद उसपर नक्काशी का काम करना शुरू कर दिया।
उसने बड़ी मेहनत से रात दिन काम करके कुछ ही दिनों में विजय स्तम्भ को पूरा कर दिया। इसके बाद एक खास दिन पर राजा ने उस विजय स्तम्भ का शुभारम्भ किया। विजय स्तम्भ की सुंदरता को देखकर राजा और सभी व्यक्ति बहुत प्रसन्न हुए।
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राजा ने राज मिस्त्री को कहा की इतनी सुन्दर कारीगरी के लिए मै तुमको कुछ इनाम देना चाहता हूँ। तुम बताओ तुमको क्या इनाम चाहिए। राज मिस्त्री ने मना किया की आपका दिया हुआ मेरे पास सब कुछ है मुझे कुछ नहीं चाहिए।
लेकिन राजा के बार बार कहने पर राज मिस्त्री बोला महाराज आप मुझे देना ही चाहते है तो मुझे इस थैले में ऐसी वस्तु दो जो संसार में सबसे कीमती हो और कोई उसका मूलय न लगा सके।
राजा इस बात पर सोच में पड़ गए और राज मिस्त्री को इनाम के लिए अगले दिन दरबार में बुलाया। राजा ने तेनाली राम को अगले दिन दरबार में आने के लिए सैनिक को सन्देश भेजा। सैनिक ने तेनाली राम को राज मिस्त्री की बात भी बताई।
अगले दिन दरबार में राज मिस्त्री और तेनाली राम उपस्थित हो गए। राजा ने तेनाली को राज मिस्त्री की बात बताई। तेनाली बोला महाराज मै यह बात जानता हूँ। महाराज मै वह कीमती वस्तु ले कर आया हूँ।
इसके बाद तेनाली ने राज मिस्त्री से वह थैला लिया और उसको खोल कर अच्छे से बंद किया और मिस्त्री को दे दिया। मिस्त्री भी चुपचाप थैला लेकर चला गया।
राजा ने तेनाली से पूछा की तुमने राज मिस्त्री को खाली थैला ही दे दिया और वह भी इसे लेकर चला गया। तेनाली ने कहा महाराज मैंने उसको खाली थैला नहीं उसमे हवा भर कर दी है।
जो की संसार में सबसे कीमती है और उसका कोई मूलय भी नहीं लगा सकता। राज मिस्त्री भी इस बात को समझ कर वह थैला लेकर चला गया। राजा ने तेनाली की बहुत प्रशंसा की।
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