Lakshmi Narayan Yog | Navgrah Beej Mantra | Navgrah Daan

Lakshmi Narayan Yog | Navgrah Beej Mantra | Navgrah Daan

Lakshmi Narayan Yog | Navgrah Beej Mantra | Navgrah Daan
Lakshmi Narayan Yog | Navgrah Beej Mantra | Navgrah Daan

Lakshmi Narayan Yog | Navgrah Beej Mantra | Navgrah Daan

Lakshmi Narayan Yog | Navgrah Beej Mantra | Navgrah Daan: आज हम इस लेख में लक्ष्मी नारायण योग, नवग्रह के बीज मंत्र जिसके द्वारा ग्रहों को शांत किया जा सकता है और नवग्रह के दान के बारे में भी विस्तार से जानेंगे।

लक्ष्मी नारायण योग | Lakshmi Narayan Yog

कुंडली के लग्न को नारायण माना गया है और नौवें घर को लक्ष्मी स्थान कहा गया है। यदि लग्नेश और नवमेश का योग कुंडली के केंद्र के घरो में होता है तो इसको लक्ष्मी नारायण योग के नाम से जाना जाता है। यह योग तभी पूरा होगा जब लग्नेश मजबूत स्थिति में हो और नवमेश अपनी सवराशि, उच्चराशि या मित्रराशि में हो। यह योग धन के लिए बहुत ही अच्छा है। ऐसे योग वाला जातक अपने जीवन में बहुत धन कमाता है और अपने जीवन के सभी भोग को जीता है। 

नवग्रह बीज मंत्र | Navgrah Beej Mantra

आप अपने ख़राब ग्रहों को शांत करने के लिए बीज मंत्रो का सहारा भी ले सकते है। आपको रोज़ाना अपने ग्रह के हिसाब से 108 बार बीज मंत्र का जाप करना है। जिससे कुछ समय के बाद आपके ग्रह शांत हो जायेंगे और ख़राब परिणाम देना बंद कर देंगे। अलग अलग ग्रहों के लिए अलग बीज मंत्र इस प्रकार है।

सूर्य देव के लिए आपको ॐ घृणिः सूर्याय नमः का कुल 7000 जाप करना है।

चंद्र देव के लिए आपको ॐ सौं सोमाय नमः का कुल 11000 जाप करना है

मंगल देव के लिए आपको ॐ अं अंगारकाय नमः का 1000 जाप करना है

बुध देव के लिए आपको ॐ बुध बुधाय नमः का 9000 जाप करना है।

गुरु देव के लिए आपको ॐ बृं बृस्पतये नमः का 19000 जाप करना है।

शुक्र देव के लिए आप ॐ शुं शुक्राय नमः का 16000 जाप करना है।

शनि देव के लिए आप ॐ शं शनैश्चाराय नमः का 23000 जाप करना है।

राहु देव के लिए आप ॐ रां राहुवे नमः का 18000 जाप करना है।

केतु देव के लिए आप ॐ के केतवे नमः का 17000 जाप करना है।

नवग्रह दान | Navgrah Daan

सूर्य  – इसके लिए आप तांबा , गेहूँ और गुड़ का रविवार के दिन दान कर सकते है।

चंद्र – इसके लिए आपको सफ़ेद चीज़ो का दान करना चाहिए जैसे आप सफ़ेद वस्त्र, चांदी , चावल , दूध और पानी का दान सोमवार को कर सकते है।

मंगल – मंगल के लिए आप लाल वस्त्र, ताम्बा, मसूर की दाल, मीठी रोटी और गरीब को मंगलवार के दिन भोजन करा सकते है।

बुध – बुध के लिए आपको हरे वस्त्र, हरी सब्जी और मुंग की दाल का बुधवार को दान करना चाहिए।

गुरु – गुरु ग्रह के लिए आपको पीली वस्तुओं का दान करना चाहिए। आप केले, पीले वस्त्र, हल्दी और चने की दाल का दान गुरुवार के दिन कर सकते है।

शुक्र – यदि शुक्र ग्रह आपकी कुंडली में ख़राब परिणाम दे रहा है तो आप वस्त्र, सेन्ट, चन्दन, चीनी और महिलाओं के साज़ सामान की वस्तुएँ शुक्रवार के दिन दान कर सकते है। 

शनि – शनि के लिए आप काले कपड़े, काले तिल , सरसों का तेल और उड़द की दाल का दान शनिवार को कर सकते है।

राहु – राहु ग्रह को शांत करने के लिए आप काले तिल , नारियल , काला कम्बल और मीठी रोटी कौए को शनिवार को खिला सकते है।

केतु – केतु ग्रह के लिए आप सफ़ेद तिल , उड़द की दाल , कम्बल और भूरे रंग की कोई वस्तु मंगलवार को दान या फिर कुत्ते को रोटी दे सकते है।

चंद्र राहु युति | Chandra Rahu Yuti

चंद्र राहु के योग को ग्रहण योग के नाम से भी जाना जाता है। जब भी चंद्र या तो राहु के साथ हो या फिर केतु के साथ होता है तो यह एक ग्रहण योग होता है। चंद्र जहाँ मन है माता का प्रतीक है कोमल है वही राहु एक रहश्यवादी ग्रह है जो किसी भी चीज़ को बढ़ा चढ़ा कर दिखाता है वह जो भी करता है बड़ा करता है उसको भौतिक सुख सुविधाएँ चाहिए होती है।

ऐसे में जब ये दोनों ग्रह एक साथ एक ही भाव में बैठे होते है तो राहु का प्रभाव पूरी तरह से जातक के मन पर हावी हो जाता है। वह अपने जीवन में कुछ बड़ा करने का इच्छुक होता है उसको संसार की सारी सुख सुविधाएँ चाहिए होती है। ऐसे व्यक्ति का मूड बहुत जल्दी चेंज हो जाता है।

राहु व्यक्ति के मन में भ्र्म की स्थिति पैदा कर देता है। यदि व्यक्ति ख़ुश होता है तो बहुत ख़ुशी का अनुभव करता है और यदि दुःखी होता है तो बहुत दुखी हो जाता है। अपने मन पर ऐसा जातक काबू नहीं कर पाता। यदि यह योग बुरे भाव में और ख़राब राशि में बने तो यह पागलपन जैसी स्थिति भी पैदा कर देती है। इसके लिए जातक को चंद्र को मजबूत करके राहु का उपाय करना चाहिए। जिससे यह शांत हो सके।

केंद्र त्रिकोण राजयोग | Kendra Trikon Rajyog

कुंडली के केंद्र के स्थान 1, 4, 7 और 10 घर के ग्रहों और त्रिकोण के भाव 5 और 9 ग्रहों का जब योग होता है तो यह लक्ष्मी योग के नाम से जाना जाता है। लेकिन यह योग यदि केंद्र में बने तब ही मजबूत होता है। जैसा की नाम से ही स्पष्ट है यह योग बहुत धनदायक होता है।

नीच भंग राजयोग | Neech Bhang Raj Yog

बहुत लोगों को नीच भंग राज योग के बारे में बहुत ग़लत जानकारी होती है। इस लेख में हम आपको नीच भंग राज योग के बारे में विस्तार से बताएँगे। नीच भंग राज योग में एक ग्रह नीच का होता है और दूसरा ग्रह उच्च का होता है।

यह राजयोग बहुत सी कंडीशन में बनता है। जब कोई ग्रह किसी राशि में नीच का बैठा हो लेकिन उस राशि का मालिक उसी राशि में साथ में बैठा हो या फिर अपनी उच्च राशि में बैठा हो। जिस प्रकार सूर्य यदि तुला राशि में हो और राशि का मालिक शुक्र या तो तुला राशि में ही बैठा हो या फिर अपनी उच्च राशि मीन में बैठा हो तो नीच भंग राजयोग बनता है।

इसके जब कोई ग्रह अपनी नीच राशि में बैठा हो और उस राशि का मालिक केंद्र में मजबूत स्थिति में बैठा हो तो इससे भी नीच भंग होता है। जब कोई ग्रह अपनी नीच राशि में बैठा हो और उस ग्रह का मालिक उसके सामने वाले घर में बैठ कर सातवीं दृष्टि से देख रहा हो तो इससे भी ग्रह का नीच भंग हो जाता है इसके अलावा कोई ग्रह अपनी नीच राशि में हो उस राशि का मालिक उस ग्रह की राशि में यदि स्थान परिवर्तन करके बैठा हो तो यह भी नीच भंग के लिए जिम्मेदार होता है।

नीच भंग में पहले व्यक्ति को नीच ग्रह के बुरे परिणाम मिलेंगे लेकिन बाद में एक ऐसी स्थिति आएगी जब उच्च का ग्रह जो उसका नीच भंग करेगा वो जातक को सफलता की और लेकर जायेगा बाद में जातक अपने जीवन में बहुत सफल हो जायेगा और खूब धन और नाम कमायेगा।

केदार योग | Kedar Yoga

यह योग ज्योतिष में बहुत प्रचलित है। यह योग जब कुंडली के सभी ग्रह राहु और केतु को छोड़कर केवल चार भाव में बैठे हो तो बनता है। इस योग से जातक जमीन से बहुत धन कमाता है। ऐसा व्यक्ति अपने जीवन में बहुत सम्मानित समझा जाता है और उसके पास धन की कभी कमी नहीं होती।

संन्यास योग | Sanyasa Yoga

बहुत से लोग जो धार्मिक होते है और उनका सांसारिक जीवन में मन नहीं लगता तो उनको यह जानने में रूचि होती है की कहीं उनकी कुंडली में संन्यास योग तो नहीं है। संन्यास योग को आप कुछ तरीकों के द्वारा पता लगा सकते है।

इस योग में चार ग्रह जब एक ही राशि में एक साथ स्थित होते है तो यह योग बनता है। इसमें लेकिन दसवें घर का मालिक भी शामिल होना चाहिए जो की कर्म को दर्शाता है। इसके साथ ही जब आपकी कुंडली में शनि और चंद्र की युति होती है तो यह भी संन्यास योग बनाता है।

चंद्र जहाँ मन है वही शनि विरक्ति का ग्रह है जब इन दोनों का मेल होता है तो जातक के मन में सांसारिक जीवन से मोह भंग हो जाता है और वह संन्यास को अपना लेता है।

ग्रहों की अस्त अवस्था:

सूर्य कुंडली में राजा के समान होता है और उसमे बहुत तेज़ और गर्मी है जिसके कारण उसके पास आने वाला कोई भी ग्रह अस्त हो जाता है केवल राहु और केतु को छोड़कर। सूर्य के ज्यादा नज़दीक आने पर उसका तेज़ नज़र नहीं आता। लेकिन हर ग्रह की एक डिग्री होती है जिसके अंदर आने पर वह अस्त हो जाता है।

चंद्र यदि 12 डिग्री के अंदर सूर्य के नज़दीक आता है तो वह अस्त हो जाता है। मंगल 17 डिग्री पर, बुध 13 डिग्री पर , गुरु 11 डिग्री पर , शुक्र 9 डिग्री पर और शनि 15 डिग्री से ज़्यादा पास आने पर अस्त हो जाता है। अस्त होने पर उस ग्रह के पुरे परिणाम नहीं मिल पाते जितने उसको देने चाहिए। इसके अलावा वह ग्रह किसी भी शुभ योग का हिस्सा नहीं बन पाता।

ग्रहों को कैसे शांत करे:

जब भी कोई ग्रह आपकी कुंडली में ख़राब परिणाम देता है तो उसको शांत करने के तीन तरीके होते है जिनको अपना कर आप उस ग्रह को बुरे परिणाम देने से रोक सकते है। पहला यदि आप उस ग्रह के रत्न को धारण करते है तो इससे यह शांत हो जाता है लेकिन रत्न धारण करने से पहले उसकी कुंडली में स्थिति और अन्य बातों को अच्छे से देख ले।

दूसरा आप उस ग्रह के बीज मंत्र का जाप कर सकते है यह बहुत प्रभावी होता है जब आपको उस ग्रह के रत्न के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं हो। तीसरा यदि कोई ग्रह ख़राब परिणाम दे रहा है तो उस ग्रह से सम्बंधित वस्तुओं का दान कर सकते है। जिससे उस ग्रह के दुष्परिणाम में कमी आएगी।

दोस्तों हम उम्मीद करते है की आपको हमारे द्वारा ऊपर बताये गए Lakshmi Narayan Yog | Navgrah Beej Mantra | Navgrah Daan जरूर पसंद आये होंगे। आप इसके बारे में हमें अपने सुझाव कमेंट के माध्यम से भी दे सकते है।

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