Intelligent Tea Seller Moral Story in Hindi
Intelligent Tea Seller Moral Story in Hindi: बहुत समय पहले की बात है हंसपुर गांव में हरीश नाम का व्यक्ति और उसकी पत्नी मधु रहते थे। हरीश चाय की एक छोटी सी दूकान लगाता था जिससे उनका जीवन यापन हो रहा था। हरीश सवभाव से बहुत मददगार और अच्छे चरित्र वाला व्यक्ति था।
जब भी चाय की दूकान में उसके 2 -3 बेरोज़गार दोस्त और कोई भीख मांगने वाला व्यक्ति आ जाता था तो उनको हरीश बिना पैसे लिए ही चाय पिला देता था
जिससे कोई ख़ास बचत नहीं हो पाती थी यह बात उसने अपनी पत्नी को बताई तो उसकी पत्नी मधु बोली कोई बात नहीं आप लोगों का भला ही तो कर रहे है। इसी तरह समय बीतता जा रहा था हरीश अपने दूकान में आने वाले व्यक्तियों से बात करता और उनका हाल चाल जानता जिससे उसको उनके बारे में भी पता चल जाता था।
एक दिन वहाँ चाय पिने आने वाले व्यक्ति को 500 रूपए की जरुरत थी तो उसने हरीश से रूपए मांगे की उसको अपनी बीवी को इलाज के लिए डॉक्टर के पास लेकर जाना है।
इसलिए उसको पैसों की सख्त जरुरत है वह यह रूपए 2 दिन में लौटा देगा। हरीश दूसरों की परेशानियों को समझता था उसने उस व्यक्ति को 500 रूपए 2 दिन के लिए दे दिए।
2 दिन के बाद उस व्यक्ति ने वह रूपए हरीश को लौटा दिए। उसके बाद एक दूसरे व्यक्ति जिसको रूपए की जरुरत थी
उसको पता चला की हरीश चायवाले ने एक व्यक्ति को 2 दिन के लिए रूपए देकर उसकी मदद की। वह व्यक्ति हरीश से बोला मुझे रूपए की सख्त जरुरत है इसलिए मुझे 1000 रूपए दे दो जिसको वह 3 दिन के बाद लौटा देगा जिस तरह आपने उस व्यक्ति की मदद की थी आप मेरी भी मदद कर दो।
पहले तो हरीश ने मना किया इतने रूपए देने के लिए लेकिन उस व्यक्ति के गुज़ारिश करने के बाद हरीश ने उस व्यक्ति को भी 1000 रूपए दे दिए।
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3 दिन के बाद उस व्यक्ति ने हरीश को 1200 रूपए दिए। हरीश ने बोला आपने 200 रूपए ज्यादा दिए है। उस व्यक्ति ने हरीश को बोला आपने मेरी जरुरत के समय मदद की थी जब मुझे कोई रूपए नहीं दे रहा था यह उसके लिए है। आप इसको रख लीजिये।
हरीश बहुत खुश हुआ और अपने घर पर अपनी बीवी के लिए मिठाई लेकर गया और उसने अपनी बीवी को सारी बात बताई।
इसके बाद बहुत से लोगों को पता चल गया की हरीश जरुरत के समय लोगो की पैसे देकर मदद करता है। हरीश अब पैसे से मदद करने के लिए कुछ रूपए चार्ज करने लगा। जिससे उसने कुछ समय में ही बहुत पैसे कमा लिए और वह अपने गांव में प्रसिद्ध हो गया।
अब हरीश ने एक चाय की अच्छी दूकान खोल ली लेकिन उसका मुख्य काम चाय बेचने की जगह पैसे उधार में देने का ज़्यादा हो गया।
जिसके कारण वह अपने गांव के साथ साथ आस पास के गावों में भी प्रसिद्ध हो गया। अब लोग उसको किसी भी कार्यक्रम में सम्मानित व्यक्ति के रूप में बुलाने लगे जिससे उसका खूब नाम हो गया।
जब गांव में मुखिया के चुनाव होने लगे तो सबने हरीश को मुखिया का चुनाव लड़ने को कहा।
सबकी बात मान कर वह मुखिया का चुनाव लड़ा और लोगों की मदद और पैसे उधार देने के कारण गांव के सब लोग उसको पसंद करते थे।
जिसके कारण वह चुनाव जीत गया। अब हरीश गांव का मुखिया बन चूका था जिससे वह लोगों की और मदद कर पा रहा था। हरीश और उसकी बीवी मधु के अब अच्छे दिन आ गए थे जिससे वह अब खुशी खुशी रहने लगे।
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