Guru Chandal Yog | Long life In Astrology | Shani Sade Sati

Guru Chandal Yog | Long life In Astrology |  Shani Sade Sati
Guru Chandal Yog | Long life In Astrology | Shani Sade Sati

Guru Chandal Yog | Long life In Astrology | Shani Sade Sati:

Guru chandal yog | Long life in astrology | Shani sade sati: इस लेख में आप गुरु चांडाल योग के बारे में जानेंगे जिसके बारे में बहुत से लोगों को तरह तरह की भ्रान्ति होती है। इसके साथ आप लम्बी उम्र के लिए कुंडली में कोनसे योग होते है और शनि की साढ़े साती के परिणाम के बारे में भी जानेंगे।

Guru Chandal Yog | गुरु चांडाल योग

जब भी कुंडली में गुरु के साथ राहु एक ही भाव में बैठा हो तो इसे गुरु चांडाल योग कहा गया है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है की यह किस भाव में बैठे है लेकिन हम आपको सामान्य परिणाम के बारे में बताएँगे।

गुरु जहाँ पर ज्ञान और धार्मिकता को दर्शाता है वही राहु कोई नियम को न मानने वाला ग्रह है। ऐसे में जब ये दोनों ग्रह एक ही राशि में साथ हो तो जातक को दोनों ही असर इसके देखने को मिलेंगे। यदि गुरु ग्रह मजबूत है राहु से तो गुरु के परिणाम ज्यादा देखने को मिलेंगे और यदि राहु ग्रह ज्यादा बलि स्थिति में है तो राहु का असर जातक पर ज्यादा दिखेगा।

गुरु और राहु के साथ होने पर जातक अपनी जिंदगी में ऐसा काम करता है जो धर्म के विरुद्ध हो या फिर वह धर्म को तोड़ता है। ऐसा व्यक्ति धर्म को न मानने वाला भी हो सकता है। लेकिन गुरु के बलि होने पर वह राहु को बहुत हद तक कण्ट्रोल करता है। 

Long life in Astrology | लम्बी आयु ज्योतिष में

हर किसी को अपनी उम्र जानने की इच्छा होती है की वह कितने वर्ष जियेगा। इसका जवाब जानने के लिए वह ज्योतिष की तरफ जाता है। ज्योतिष में बिलकुल सटीक उम्र जानने का तो ऐसा कोई अभी तक तरीका नहीं है लेकिन यदि किसी की लम्बी आयु है इसको जाना जा सकता है।

इसके लिए आपको अपनी कुंडली के आठवें भाव को देखना होगा जो की मृत्यु का भाव होता है। यदि आठवें भाव में शनि ग्रह उपस्थित हो या फिर इसपर अपनी दृष्टि डाल रहा हो तो यह लम्बी उम्र को दर्शाता है क्योंकि शनि बहुत ढीला ग्रह है जो की एक राशि भी 2.5 वर्ष में बदलता है ऐसे में इस ग्रह के आठवें भाव में आने पर यह जातक की मृत्यु को भी लेट कर देता है।

लेकिन लम्बी उम्र के लिए आठवें घर का मालिक भी मजबूत स्थिति में होना चाहिए। 

शुक्र का पहले घर में परिणाम:

शुक्र सब ग्रहों में सबसे चमकीला ग्रह है। यह एक अच्छा ग्रह है। जब यह ग्रह कुंडली के पहले भाव में आता है तो जातक का व्यक्तित्व इस ग्रह से प्रभावित होता है। व्यक्ति देखने में सुन्दर होता है। यह एक स्त्री ग्रह है। ऐसे में जातक सामानयतः पतले शरीर वाला होता है लेकिन इसके लिए दूसरे ग्रहों को भी देख लेना जरुरी होता है।

जातक को ऐसे में सजने, सवरने और साफ़ रहने का शौक होता है। जैसा की शुक्र लक्ज़री का प्रतीक है ऐसे में जातक को अच्छी लक्ज़री जिंदगी जीने और घूमने फिरने का शोक होता है।

जातक का रंग सामान्य गोरा होता है और ऊंचाई भी सामान्य ही होती है। ऐसा व्यक्ति गीत संगीत का भी शौकीन होता है।

बुध ग्रह का पहले घर में परिणाम:

जब बुध पहले घर में होता है तो यह आपके व्यक्तित्व में शामिल हो जाता है। इसके कारण आप देखने में अपनी उम्र से कम लगेंगे क्योंकि बुध युवा ग्रह है। इसके साथ आप बोलने में बहुत अच्छे होंगे इसके साथ आप थोड़े बातूनी भी हो सकते है।

बुध ग्रह आपको बुद्धिमान बनाता है भौतिक चीज़ो की आपको काफ़ी समझ होगी। आप एक अच्छे व्यापारी भी बन सकते है या फिर आप एक गणितज भी बन सकते है। यदि बुध अच्छा होगा तो आपकी त्वचा बहुत अच्छी होगी और जवान नज़र आएगी यदि आपका बुध अच्छा नहीं है तो आपकी त्वचा ख़राब होगी और इसमें कोई रोग भी हो सकते है। बुध ग्रह से आप क्लर्क भी बन सकते है।

Shani Sade Sati | शनि साढ़े साती और इसके परिणाम:

साढ़े साती का सम्बन्ध शनि ग्रह से है। साढ़े साती का मतलब साढ़े सात साल। जब भी गोचर में शनि ग्रह जातक के जन्म के चन्द्रमा से बारहवें घर में होता है तभी से साढ़े साती की शुरुवात समझी जाती है। यह 2.5 साल बारहवें घर में फिर इतने ही साल चंद्र राशि में और फिर 2.5 साल दूसरी राशि में रहता है।

कुल मिलाकर 7.5 साल साढ़े साती के होते है। बहुत से लोग आपको इसके नाम पर डराते है। लेकिन आपको इससे डरना नहीं चाहिए बल्कि शनि देव को समझ कर इसका उपाय करना चाहिए। अक्सर ऐसा होता है जब शनि की साढ़े साती आती है तो लोगों के व्यापार बंद होने की कगार पर पहुंच जाते है। बहुत धन हानि होती है।

शरीर में कोई भयानक रोग लग जाता है। इससे बचने के लिए आपको उन बातों का पालन करना होगा जिससे शनि देव नाराज़ न हो। आपको किसी का भी कोई बुरा नहीं करना है। आपको अपने नीचे काम करने वाले , गरीब लोग , मजदूर और बूढ़े लोगों से सही से पेश आना है और उनका कभी कोई अहित नहीं करना क्योंकि इन सब में शनि का बास होता है।

आपको ईमानदारी से काम करना है। आपको आलस्य और लापरवाही को त्याग कर नियम का पालन करना है। यदि आप इन सब नियमों का पालन करते है तो आपको शनि की साढ़ेसाती से नहीं डरना चाहिए ऐसे में शनि आपका कुछ नहीं बिगाड़ेंगे। बहुत से लोग जो सही जीवन जीते है कोई धोखा धड़ी का काम नहीं करते शनि अपनी साढ़े साती में उनको मालामाल कर देते है।    

भावात भावम नियम क्या कहता है:

इस नियम के अनुसार आपको किसी भी भाव की स्थिति या परिणाम को दूसरे के सापेक्ष देखना है तो आपको उस भाव से जिस भाव का परिणाम देखना है वहाँ तक गिनना होगा। जिस प्रकार यदि आपको दसवें  घर का सम्बन्ध सातवें घर से देखना है तो आपको सातवें घर से दसवें घर तक गिनना है जो की उसका चौथा घर होता है। जहाँ से आप अपने जीवन साथी की घर , गाड़ी और वाहन देख सकते है। इसी प्रकार आपका आठवाँ घर आपके जीवन साथी का परिवार होगा।

राहु के परिणाम दसवें घर में:

राहु एक ऐसा ग्रह है जो भ्र्म पैदा कर देता है। जिसको जो भी करना होता है बड़ा करना होता है। दसवां घर आपके कर्म का है जो काम आप करते है जब राहु दसवें घर में आता है तो यह इस घर में बहुत बड़ा काम करना चाहता है उसके सामने कोई भी शत्रु नहीं टिक पाते।

ऐसा कहा भी गया है राहु जिसके दस में दुनिया उसके वश में तो राहु का इस घर में होना काम धंधे के लिए अच्छा माना गया है जिसके कारण वह अपना एक नाम समाज में बना लेता है। राहु के दसवें घर में होने पर ऐसा व्यक्ति राजनीति में बहुत तरक्की करता है क्योंकि उसके सामने कोई भी दूसरी पार्टी का नेता टिक नहीं पाता। इस तरह राहु दसवें घर में अच्छे परिणाम देता है और मान सम्मान के साथ काम से धन दौलत भी देता है।

राहु के परिणाम छठे घर में:

छठे घर का सम्बन्ध रोग से , ऋण से और शत्रुओं से होता है। यह त्रिक भावों में शामिल है। जिसके कारण इस घर को अच्छा नहीं समझा जाता। राहु को जैसा आप जानते है यह दानव ग्रहों में शामिल है।

जब ऐसा ग्रह जो की क्रूर है छठे घर में आता है तो यह रोग , ऋण और शत्रुओं को दूर कर देता है। यह घर नौकरी का भी है ऐसे में राहु के इस घर में आने पर यह नौकरी में कभी कभी बाधा उत्पन्न कर देता है और ऐसा जातक बहुत सी नौकरी बदलता है। राहु इस घर से अपनी पांचवी दृष्टि से दसवें घर को भी देखता है और करियर के लिए भी अच्छा करता है।

सरस्वती योग ज्योतिष में:

सरस्वती योग ज्योतिष में बहुत शुभ माना जाता है। यह योग नैसर्गिक शुभ ग्रह बुध, शुक्र और गुरु ग्रह से बनता है। जब भी ये तीनों ग्रह केंद्र (1, 4, 7, 10 भावों में ) में त्रिकोण में (1, 5 और 9 भाव ) और दूसरे भाव में एक साथ या अलग अलग हो तो यह योग बनता है।

इस योग का महत्त्व इसलिए है क्योकि यह शुभ ग्रहों के मेल से बनता है। जब इतने शुभ ग्रह आपके ऐसे स्थान में हो तो यह आपकी जिंदगी में बहुत सकारात्मक बदलाव लाते है।

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इस योग के कारण जातक बहुत बुद्धिमान होता है उस पर सरस्वती माँ की सदैव कृपा रहती है वह बहुत सी विद्या प्राप्त करता है। इसके साथ वह बहुत धन कमाता है और समाज में एक सम्माननीय व्यक्ति समझा जाता है।

कर्म स्थान का कर्म भाव कौनसा है?

आप जैसा जान ही चुके होंगे की जातक के कर्म को और उसके काम को दसवें घर से देखा जाता है। लेकिन जब कर्म के भी कर्म भाव की बात होती है तो यह दसवें घर से दसवां घर होता है जो की सातवां घर है। इसलिए सातवें घर को कर्म और व्यवसाय के लिए देखा जाता है और यह भी इसमें एक अलग अहमियत रखता है। यदि सातवां घर मजबूत हो तो यह दसवें घर को करियर में मदद करता है।

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