Benefits of gemstones in astrology videsh yog in kundali

Benefits of Gemstones in Astrology | Videsh Yog in Kundali

Benefits of Gemstones in Astrology | Videsh Yog in Kundali
Benefits of Gemstones in Astrology | Videsh Yog in Kundali

Benefits of Gemstones in Astrology | Videsh Yog in Kundali

Benefits of Gemstones in Astrology Videsh Yog in Kundali: आप जब भी ज्योतिष के पास जाते है तो बहुत से ज्योतिषी आप को अलग अलग रत्न पहनने का सुझाव देते है। ज्योतिषी आपकी कुंडली को देखकर सही रत्न के बारे में आपको बताते है।

रत्न वास्तविकता में ज्योतिष विज्ञान की जरुरत है। जैसा पहले के लेख में भी हम बता चुके है की कोई भी ग्रह अपने पुरे परिणाम देने के लिए तभी कारगर हो पाता है जब वह 15 डिग्री पर या इसके आस पास होता है। लेकिन यदि कोई ग्रह बाल अवस्था में यानि 0 से 6 डिग्री पर हो या फिर वृद्ध अवस्था यानि 24 से 30 डिग्री पर हो तो वह अपने पुरे परिणाम नहीं दे पाता।

यदि कोई योगकारक ग्रह आपकी कुंडली में कम डिग्री पर हो तो यह आपके अच्छा नहीं है क्योंकि वह पूरी शक्ति के साथ आपके जीवन में खुशहाल बनाने के लिए मदद नहीं कर पायेगा। यदि कोई मारक ग्रह आपकी कुंडली में कम डिग्री पर है तो यह आपके लिए अच्छा है क्योकि यह आपके जीवन में ज्यादा नुक़सान नहीं पहुंचा पायेगा। आपको हमेशा कुंडली को किसी ज्ञानी ज्योतिषी से अच्छे से दिखा कर ही रत्न धारण करना चाहिए। यदि आप रत्न धारण करते है तो यह आपके योगकारक ग्रह की ताकत को बढ़ाएगा और उसके शुभ परिणाम में वृद्धि करेगा।

मारक ग्रहों की ताकत को कैसे कम करते है

हर किसी व्यक्ति की कुंडली में योगकारक और मारक ग्रह होते है। जहाँ योगकारक ग्रह व्यक्ति के जीवन में शुभता बढ़ाता है वही मारक ग्रह जीवन में परेशानियाँ और मुसीबतें अपनी दशा अन्तर्दशा में लाता है। यदि मारक ग्रह आपकी कुंडली में शक्तिशाली है तो यह जीवन में भूचाल भी मचा सकता है।

जिससे बचने के लिए आपको इन मारक ग्रहों की ताकत को कम करना होगा। आप इन ग्रहों की ताकत कम करने के लिए मारक ग्रहों का दान कर सकते है। जो ग्रह है आपको उस ग्रह से सम्बंधित वस्तुएँ उस ग्रह के दिन पर दान करनी होगी। यह आप कुछ समय करते है तो यह आपके जीवन में कम प्रभाव डालेगा और आपकी समस्या का समाधान होगा।

रत्न किस तरह असर करते है

जब आप कोई रत्न धारण करते है तो वह आपके शरीर में अपनी किरणें छोड़ता है जिससे उस ग्रह का असर आपके शरीर में ज़्यादा होता है। जिससे योगकारक ग्रह आपके जीवन में अपनी भागीदारी बढ़ा कर बहुत सकारात्मक बदलाव लाता है।

कौन से ग्रह के लिए कौन सा रत्न

हर ग्रह के लिए अलग रत्न होता है जिसको धारण करना चाहिए। यदि आप गलत रत्न धारण करते है तो यह बहुत नुक़सानदायक सिद्ध हो सकता है। सूर्य के लिए माणिक्य , चंद्र के लिए मोती , मंगल के लिए मूंगा , बुध के लिए पन्ना , गुरु के लिए पुखराज , शुक्र के लिए ओपल या हीरा , शनि के लिए नीलम , राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया रत्न को धारण करना चाहिए।

कौन सी ऊँगली में कौन सा रत्न किस दिन धारण करना है

सूर्य का माणिक्य आपको रिंग फिंगर में रविवार के दिन धारण करना चाहिए।

चंद्र का मोती को आप सोमवार के दिन छोटी उंगली में धारण करना चाहिए जो की बुध की ऊँगली कही जाती है और चंद्र पर्वत भी उससे नीचे ही होता है।

मंगल ग्रह के लिए मूंगा को आप मंगलवार के दिन रिंग फिंगर में ही धारण कर सकते है क्योकि सूर्य और मंगल आपस में मित्र है।

बुध ग्रह के लिए आप पन्ना रत्न बुधवार के दिन सबसे छोटी ऊँगली में धारण कर सकते है।

गुरु ग्रह के लिए आप पुखराज गुरुवार के दिन इंडेक्स फिंगर में धारण कर सकते है जो की गुरु की ही ऊँगली होती है।

शुक्र के लिए आप हीरा या ओपल को शुक्रवार के दिन मिडिल फिंगर जो की शनि की ऊँगली होती है उसमे धारण कर सकते है क्योंकि शनि और शुक्र अति मित्र है।

शनि ग्रह के लिए आप नीलम को शनिवार के दिन मिडिल फिंगर जो की शनि की ऊँगली होती है उसमे धारण कर सकते है।

राहु के लिए आप गोमेद और केतु के लिए लहसुनिया को आप शनि की ऊँगली में धारण कर सकते है क्योंकि ये दोनों शनि के मित्र है। 

विदेश में सेटल का योग कुंडली में | Videsh Yog in Kundali

देश में नौकरी का अच्छा अवसर न मिलने के कारण या फिर विदेश में अच्छी सैलरी के कारण बहुत से युवा विदेश का रुख करते है। बहुत से लोग जो विदेश जाने के इच्छुक होते है उनको यह जानने की इच्छा होती है की वह विदेश में बस पाएंगे या नहीं। इसमें उनकी ज्योतिष मदद करती है। ज्योतिष में कुछ ऐसे योग होते है जिनके द्वारा आप पता लगा सकते है की आप विदेश जाकर सेटल हो पाएंगे की नहीं।

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यदि आपके लग्न का स्वामी बारहवें भाव में जाता है तो यह दर्शाता है की आप विदेश में जाकर सेटल हो सकते है क्योंकि पहला भाव खुद का होता है और बारहवाँ भाव विदेश का। यदि आपका लग्नेश और बारहवें भाव का स्वामी आपस में स्थान परिवर्तन करते है तो यह भी विदेश में बसने का योग होता है।

जिस तरह पहले घर का स्वामी बारहवें भाव में और बारहवें भाव का स्वामी पहले भाव में चला जाए। यदि चौथे घर का स्वामी बारहवें भाव में चला जाये तो यह भी विदेश में बसने का योग होता है क्योंकि चौथा भाव सुख का और घर का होता है ऐसा व्यक्ति विदेश में जाकर घर बनाता है और सुख खोजता है।

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