कुंडली के बारह भाव और पंच महापुरुष योग का महत्व ज्योतिष में

कुंडली के बारह भाव और पंच महापुरुष योग
कुंडली के बारह भाव और पंच महापुरुष योग

कुंडली के बारह भाव | Kundali Ke 12 Bhav

कुंडली के बारह भाव: कुंडली में कुल 12 घर होते है जिसमे अलग अलग घर का अपना एक महत्त्व होता है। जो किसी न किसी चीज़ को व्यक्त करता है। हम घर की विशेषता के बारे में जानेंगे की किस घर से क्या देखा जाता है।

कुंडली के 12 भाव कौन से होते है ?

पहला भाव:

पहला घर जातक का खुद का स्व्भाव को दर्शाता है। इससे जातक के रंग, रूप, चेहरे और चरित्र को देखा जाता है। इस घर से जातक की प्रसिद्धि को भी देखा जाता है। इस घर में चंद्र जैसे ग्रह हो तो यह अंदाज़ा लगाया जा सकता है की व्यक्ति गोरा हो सकता है जबकि गुरु जैसे ग्रह से भारी शरीर वाला व्यक्ति समझ सकते है।

दूसरा भाव:

कुंडली के दूसरे घर से व्यक्ति के परिवार के बारे में पता लगाया जाता है की व्यक्ति का परिवार कैसा है। इससे धन भी देखा जाता है यह संचित धन होता है व्यक्ति के पास बैंक में कितना पैसा होगा। इस घर से वाणी को भी देखते है की व्यक्ति बोलने में कैसा होगा वह बोलने में मधुर होगा की कटु होगा। यदि उसके दूसरे घर में शुक्र और चंद्र जैसे ग्रह होंगे तो इससे व्यक्ति बोलने में मधुर होगा जबकि शनि और राहु जैसे ग्रह कटु बोलने को दर्शाते  है।

तीसरा भाव:

कुंडली के तीसरे घर से छोटे भाई बहनों को देखा जाता है की भाई बहन कैसे होंगे आदि। इससे कम्युनिकेशन स्किल और स्ट्रगल को भी देखा जाता है। इससे जीवन साथी के पिता को भी देखा जाता है क्योकि सातवें घर से नौवां घर होता है।

चौथा भाव:

कुंडली के चौथे घर से घर, गाड़ी और जमीन को देखा जाता है। यह सुख स्थान कहा जाता है। इससे पता लगा सकते है आपके पास कैसा घर, गाड़ी होगी यदि होगी तो और आप जीवन में कितना सुख भोगेंगे। इससे माता को भी देखा जाता है।

पांचवा भाव:

इस घर से बच्चों को देखा जाता है। यदि किसी दम्पति के संतान होने में दिक्कत आ रही है तो इससे ही इसका अंदाज़ा लगाया जाता है। इस घर से क्रिएटिविटी और रूचि को भी देखा जाता है की आपको किस चीज़ का शोक होगा।

छठा भाव:

यह घर रोग, ऋण और शत्रुओं का होता है। इससे जातक के रोगों के बारे में पता लगाया जाता है। यदि व्यक्ति किसी क़र्ज़ में डूब गया है तो इसको देख कर पता लगा सकते वह कब इससे उबरेगा। इस घर से व्यक्ति की डेली आय और नौकरी को भी देखा जाता है। इससे जातक के छोटे मामा को भी देखा जाता है क्योंकि यह चौथे घर से तीसरा घर होता है।

सातवाँ भाव:

यह घर जातक के लिए बहुत अहमियत रखता है क्युकी यह कुंडली के केंद्र के घर में शामिल है। इससे जातक के जीवन साथी के बारे में पता लगाते है की उसका स्व्भाव कैसा होगा। यह घर जातक के बिल्कुल सामने वाला घर होता है। इससे पार्टनरशिप के बारे में देखते है की सांझेदारी में व्यापार करना ठीक रहेगा या नहीं। इससे व्यापार को देखा जाता है। इससे शादी के बाद पति पत्नी के तालमेल को भी देखा जाता है। शादी के टूटने की वजह आदि को भी इसी घर से देखा जाता है।

आठवाँ भाव:

इस घर से मृत्यु , पुश्तैनी सम्पति और गहरी रिसर्च को देखा जाता है। इससे जीवन साथी के घर परिवार को भी देखा जाता है। इससे अचानक घटने वाली घटनाओं को देखा जाता है। यह हमारे शरीर में मल स्थान होता है। इस घर में केतु की स्थिति बवासीर के रोग की ओर संकेत करती है। मंगल जैसे ग्रह की इस घर में स्थिति अचानक मृत्यु को बताती है।

नौवाँ भाव:

इस घर से पिता को देखा जाता है और पिता की स्थिति को देखा जाता है । इससे धर्म के कार्यों को देखा जाता है। यह लम्बी धार्मिक यात्राओं का भी घर है। यह जातक के भाग्य का भी स्थान है। यह जीवन साथी की छोटी बहन का भी घर है।

दसवाँ भाव:

यह घर भी केंद्र का घर है। इस घर से व्यक्ति के करियर को देखा जाता है की जातक अपने करियर में कितनी तरक्की करेगा। यह काम का स्थान है। सूर्य जैसे ग्रह इस घर में किसी ऊंचे सरकारी पद और नाम को दर्शाते है।

ग्यारवाँ भाव:

यह घर बड़े भाई बहनों का है।  इससे आप अपने बड़े भाई बहनों के बारे में जान सकते है। यह स्थान लाभ और इच्छा पूर्ति का भी होता है। आपकी जो भी इच्छा है वह पूरी होगी की नहीं वह भी आप इस घर से देख सकते है। यह आपके आय के आगमन को भी बताता है। इसको भी धन भाव में गिना जाता है।

बारहवां भाव:

यह भाव नुक्सान का है इससे कोई भी चीज़ चोरी हो जाये देखते है। यह विदेश का भी स्थान है कोई व्यक्ति विदेश जायेगा की नहीं और विदेश में बसने की उसकी क्या सम्भावना है वह इस भाव से देखते है। इसके साथ यह जेल यात्रा का भी घर है किसी व्यक्ति की कुंडली में जेल जाने के योग है या नहीं वह इसी घर से देखते है। यह भाव शैया सुख का भी है।

नींद में गड़बड़ी और इंसोम्निया जैसे बीमारियों का विचार इस भाव से किया जाता है। यह घर कुंडली का अंतिम घर है इससे मोक्ष को भी देखा जाता है की आपको मोक्ष की प्राप्ति होगी की नहीं। केतु के इस घर में आने से धार्मिक प्रवर्ति और मोक्ष की तरफ झुकाव को दर्शाता है।

पंच महापुरुष योग | Panch Mahapurush Yoga In Hindi

पंच महापुरुष योग: ज्योतिष में पंच महापुरुष योग का बहुत महत्त्व है। बहुत से एस्ट्रोलॉजर इसकी विशेषता वर्णन करते हुए नहीं थकते। जैसा की नाम से स्पष्ट है पंच यानि की पांच इसमें पांच ग्रह शामिल होते है जिसमे मंगल , बुध , शुक्र, गुरु और शनि शामिल है। सूर्य , चंद्र , राहु और केतु इसमें शामिल नहीं है।

यह योग तब बनता है जब इन पाँच ग्रहों में से कोई भी ग्रह केंद्र के घर में अपनी उच्च राशि में या फिर अपनी सवराशि में स्थित हो। इस योग से आप अपने जीवन में बहुत तरक्की करते है। आपका बहुत नाम होता है और आप बहुत पैसा कमाते है। यह योग और भी शक्ति के साथ काम करता है जब लग्न का मालिक योग बनाने वाले ग्रह का मित्र हो।

1. भद्र योग

यह योग बुध के कारण बनता है। जब बुध केंद्र के भावों में जैसे 1, 4, 7 या 10 में से किसी में भी बैठा हो और अपनी राशि मिथुन, कन्या या फिर अपनी  उच्च राशि जो की इसमें कन्या ही है उसमे बैठा हो तो यह इस योग का निर्माण करता है। इस योग के कारण जातक बहुत अच्छा वक्ता होता है। वह कोई बिजनेसमैन होता है और तेज़ बुद्धि वाला होता है। जातक बहुत सफ़ल इंसान होता है और बहुत नाम कमाता है।

2. हंस योग

यह योग गुरु के कारण बनता है। जब गुरु केंद्र के भावों में अपनी राशि धनु या मीन में होते है या फिर अपनी उच्च राशि कर्क में विराजमान होते है। इस योग के कारण जातक बहुत बुद्धिवान होता है। वह बहुत विषयो का ज्ञान रखता है। वह शिक्षा के ऊंचे पद पर आसीन होता है। वह बहुत प्रसिद्धि और ख्याति प्राप्त करता है। इसके साथ जातक बहुत धन कमाता है।

3. मालव्य योग

यह योग शुक्र के कारण बनता है। जब शुक्र केंद्र के घर 1, 4, 7 या 10 में अपनी राशि वृषभ या तुला राशि में हो अथवा शुक्र यदि अपनी उच्च राशि मीन में विध्यमान हो तो इस योग का निर्माण होता है। यह योग धन के मामले में बहुत अच्छा होता है क्योंकि यह शुक्र देव के कारण बनता है। इस योग वाला जातक अपने जीवन में बहुत धन और नाम कमाता है। वह बहुत ऐशो आराम वाली जिंदगी जीता है उसके पास बहुत सी महँगी गाड़ियां होती है।

4. रुचक योग

यह योग मंगल देव के कारण बनता है। जब मंगल केंद्र के घरों में अपनी राशि मेष, वृश्चिक या फिर अपनी उच्च राशि मकर में होता है तो इस योग का निर्माण होता है। इस योग के कारण जातक बहुत रोबदार व्यक्तित्व का मालिक होता है। ऐसा जातक सेना में किसी बड़े पद पर आसीन होता है या फिर ऐसा जातक कोई विख्यात खिलाड़ी बनता है। वह अपने जीवन में बहुत प्रसिद्धि और पैसा कमाता है।

5. शश योग

यह योग शनि देव के कारण बनता है जब शनि देव केंद्र में अपने घर मकर या कुम्भ में हो या फिर अपनी उच्च राशि तुला में हो। इस योग से जातक बहुत समझदार, ज्ञानवान और विख्यात बनता है। वह अपने जीवन में मुसीबतों को दूर करते हुए ऊंचे मुकाम पर पहुँचता है।

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ऐसा जातक या तो कोई जज होता है या फिर तेल का बड़ा व्यापारी होता है या फिर ऐसा बिजनेसमैन होता है जिसकी फैक्ट्री में बहुत से मजदुर काम करते हो। ऐसे जातक की कामयाबी लम्बे समय तक रहती है और वह लम्बी आयु का मालिक होता है।

त्रिक स्थान ज्योतिष में

ज्योतिष में अक्सर त्रिक स्थान का जिक्र होता है। त्रिक स्थान से अभिप्राय छठे , आठवें और बारहवें घर से होता है। यह स्थान ज्योतिष में अच्छे नहीं माने जाते क्योंकि इन घर का सम्बन्ध रोग , ऋण ,शत्रुओं , नुक्सान, चोरी, और जेल यात्रा से होता है। इन घर में जो भी ग्रह बैठे होते है उनकी दशा या अन्तर्दशा आने पर आपको इन दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

हम उम्मीद करते है की आपको हमारे द्वारा बताई गयी कुंडली के बारह भाव और पंच महापुरुष योग के बारे में जानकारी जरूर पसंद आयी होगी। आपने इसके द्वारा ज्योतिष विषय के बारे में कुछ नया सीखा होगा। आप इसके बारे में अपनी राय या सुझाव नीचे कमेंट में दे सकते है।

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