Pus Ki Rat Hindi Kahani | पूस की रात
Pus Ki Rat Hindi Kahani: एक बार की बात है एक गांव में हल्कू नाम का किसान अपनी बीवी मुन्नी के साथ रहता था। हल्कू खेत में किसानी करके अपना गुजारा चलाता था। एक दिन हल्कू अपने घर पर ही था। तभी सहना नामक व्यक्ति उनके घर के दरवाजे पर आया वह जमींदार का आदमी था।
जो लगान लेने के लिए हल्कू के घर आया था। हल्कू सहना को देखकर अपनी बीवी मुन्नी को बोला कि जो हमारे पास ₹3 है उसे मुझको दे दो। जिसे मैं सहना को देकर इसका हिसाब चुकाता हूं। लेकिन मुन्नी बोली कि ₹3 का तो हम कंबल लेकर आएंगे। यदि ₹3 का कंबल नहीं लेकर आए तो तुम माघ पूस की ठंडी रात को खेत में कैसे गुजारोगे।
वह अपनी पत्नी को बोला कि उसका बाद में किसी तरह जुगाड़ कर लेंगे लेकिन अभी सहना को पैसे देने जरूरी है नहीं तो यहाँ तमाशा खड़ा कर देगा। हल्कू की बात सुनकर मुन्नी ने उसको ₹3 निकाल कर दे दिए। जिसको ले जाकर उसने सहना को दिया। कुछ दिनों के बाद पूस का महीना आ गया।
हल्कू अपने खेत में लगी फसल की रक्षा करने के लिए खेत में बने ओट में एक खाट में सोता था। कंबल के पैसे उसने सहना को दे दिए थे। जिसके कारण उसे केवल एक पुराने सूती चादर से ही रात गुजारनी पड़ रही थी।
हल्कू के साथ उसका कुत्ता जबरा भी आया था। जैसे-जैसे रात बढ़ने लगी। वैसे वैसे पछुआ पवनों ने ठंड को और बढ़ा दिया। हल्कू जितना भी सोने की कोशिश करता रहा लेकिन उसे नींद नहीं आ रही थी।
कुछ देर के बाद में वह अपने कुत्ते जबरा को अपने साथ लेकर सो गया। जिससे कुछ देर उसे थोड़ी गर्माहट मिली लेकिन जबरा कुछ आवाज सुनकर उठ गया और बाहर निकल कर भोकने लगा।
हल्कू फिर भी सोने का प्रयास कर रहा था लेकिन उसको नींद नहीं आ रही थी फिर उसको एक तरकीब सूझी। उसने सोचा कि पास में आम का बाग है जिससे पत्ते झड़ कर नीचे गिर रहे हैं। उन सूखे पत्तों को जलाकर मैं थोड़ी देर हाथ सेक लेता हूँ। यह सोचकर वह बगीचे के खेत की तरफ बढ़ने लगा तभी उसका जबरा कुत्ता भी वहां पर आ गया और वह भी उसके साथ हो लिया।
वह आम के बगीचे में जाकर सारे सूखे पत्ते इकट्ठे करने लगा। कुछ देर में उसने काफी सूखे पत्ते इकट्ठे कर लिए जिसको उसने आग लगा दी और अपने हाथ सेंकने लगा। जबरा कुत्ता भी आंख की गर्माहट पाकर खुश था।
कुछ देर में आग बुझ गई लेकिन राख में अभी भी गर्मी थी। तभी वहां पर हल्कू को अपने खेत में कुछ आवाज सुनाई दी। हल्कू का कुत्ता जबरा तभी खेत की तरफ भागा और वहां जाकर भौंकने लगा। हल्कू को यह अंदाजा लग चुका था कि खेत में नीलगाय आ चुकी है और वह जरूर उसकी फसल को खा रही होगी।
लेकिन हल्कू ठंड के आलकस के कारण वहां नहीं जा रहा था। वह सोच रहा था कि जबरा जरूर नीलगाय को भगा देगा लेकिन फिर भी नीलगाय की फसल को खाने की आवाज उसको लगातार सुनाई दे रही थी।
वह मन बनाकर एक बार उठा लेकिन जैसे ही उसको ठंडी हवा लगी वह दोबारा वहीं पर राख की बुझी आग के पास बैठ गया और कुछ देर में वही पर सो गया। जब वह सुबह उठा तो सूरज ऊपर आ चुका था और उसकी पत्नी मुन्नी उसको उठा रही थी।
वह उसको बोली कि तुम यहां पर आकर सो रहे हो और सारी फसल को नील गाय ने खा लिया। हल्कू अपनी पत्नी से बोला कि मैं रात में ठंड से मारी मरते बचा हूं।
उन्हें जाकर फसल को देखा जो पूरी खत्म हो चुकी थी। तब मुन्नी ने हल्कू को कहा कि अब मजदूरी करके ही मालगुजारी चुकानी पड़ेगी। हल्कू मन ही मन सोच रहा था की कम से कम पूस की ये ठंडी रातें मुझे खेत में तो नहीं गुजारनी पड़ेगी।
Final words:
हम उम्मीद करते है की आपको हमारे द्वारा ऊपर दी गयी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी Pus Ki Rat Hindi Kahani पसंद आयी होगी। आप इस कहानी को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर कर सकते है।
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