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Hanuman Chalisa
Hanuman Chalisa(हनुमान चालीसा): हनुमान जी एक ऐसे देवता है जो की बहुत आसानी से प्रसन्न हो जाते है। हनुमान जी खुद श्री राम के भक़्त है तो वह अपने भक्त को कभी भी निराश नहीं करते। आपको उनको प्रसन्न करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं करना होता यदि आप नियमित रूप से श्री हनुमान चालीसा का पाठ करते है तो यह भी काफी है। यदि आपको किसी भी भूत पिशाच का डर सताता है, रात को नींद में डरावने सपने आते है या फिर आपकी कुंडली में यदि मंगल ख़राब स्थिति में है तो आपको श्री हनुमान चालीसा पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। इसका नियमित रूप से पाठ करने पर हनुमान जी आपके सभी डर परेशानियों को दूर करके आपके जीवन में सम्पन्नता ला देंगे।
|| श्री हनुमंते नमः ||
श्री हनुमान चालीसा पूरी हिंदी में | Full Shree Hanuman Chalisa in Hindi
दोहा
श्री गुरु चरण सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि ||
बुद्धिहीन तनु जानिके,
सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं ,
हरहु कलेश विकार ||
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर |
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ||
राम दूत अतुलित बल धामा |
अंजनी पुत्र पवनसुत नामा ||
महाबीर बिक्रम बजरंगी |
कुमति निवार सुमति के संगी ||
कंचन बरन बिराज सुबेसा |
कानन कुण्डल कुंचित केसा ||
हाथ बज्र ओ ध्वजा बिराजै |
काँधे मूँज जनेऊ साजै ||
संकर सुवन केसरीनंदन |
तेज़ प्रताप महा जग बंदन ||
विद्यावान गुनी अति चातुर |
राम काज करिबे को आतुर ||
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया |
राम लखन सीता मन बसिया ||
Jai Hanuman Chalisa Lyrics in Hindi
सूक्षम रूप धरि सियहिं दिखावा |
बिकट रूप धरि लंक जरावा ||
भीम रूप धरि असुर सँहारे |
रामचंद्र के काज सँवारे ||
लाय सजीवन लखन जियाये |
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ||
रघुपति किन्ही बहुत बड़ाई |
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ||
सहस बदन तुम्हरो जस गावें |
अस कही श्रीपति कंठ लगावें ||
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा |
नारद सारद सहित अहीसा ||
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते |
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ||
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा |
राम मिलाय राज पद दीन्हा ||
तुम्हरो मंत्र विभीसन माना |
लंकेश्वर भय सब जग जाना ||
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु |
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ||
प्रभु मुद्रिका मिली मुख माहीं |
जलधि लाँघि गये अचरज नाही ||
दुर्गम काज जगत के जेते |
सुगम अनुग्रह तुम्हारे तेते ||
Hanuman Chalisa Paath
राम दुआरे तुम रखवारे |
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ||
सब सुख लहै तुम्हारी सरना |
तुम रक्षक काहू को डरना ||
आपण तेज़ सम्हारो आपै |
तीनों लोक हाँक तें काँपे ||
भूत पिसाच निकट नहीं आवै |
महाबीर जब नाम सुनावै ||
नासै रोग हरे सब पीरा |
जपत निरंतर हनुमत बीरा ||
संकट तें हनुमान छुड़ावै |
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ||
सब पर राम तपस्वी राजा |
तिन के काज सकल तुम साजा ||
और मनोरथ जो कोइ लावै |
सोइ अमित जीवन फल पावै ||
चारों जुग परताप तुम्हारा |
है परसिद्ध जगत उजियारा ||
साधु संत के तुम रखवारे |
असुर निकंदन राम दुलारे ||
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता |
अस बर दीन जानकी माता ||
राम रसायन तुम्हारे पासा |
सदा रहो रघुपति के दासा ||
तुम्हारे भजन राम को पावै |
जनम जनम के दुख बिसरावै ||
अंत काल रघुबर पुर जाई |
जहाँ जन्म हरि – भक्त कहाई ||
और देवता चित्त न धरई |
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ||
संकट कटे मिटे सब पीरा |
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ||
जै जै जै हनुमान गोसाईं |
कृपा करहु गुरु देव की नाई ||
जो सत बार पाठ कर कोई |
छूटहि बंदि महा सुख होई ||
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा |
होय सिद्धि साखी गौरीसा ||
तुलसीदास सदा हरि चेरा |
कीजै नाथ ह्रदय महँ डेरा ||
दोहा
पवनतनय संकट हरण,
मंगल मूरति रूप |
राम लखन सीता सहित,
ह्रदय बसहु सुर भूप ||
संकटमोचन हनुमानाष्टक:
बाल समय रबि भक्षी लियो तब
तीनहुँ लोक भयो अँधियारो |
ताहि सो त्रास भयो जग को
यह संकट काहु सो जात न टारो ||
देवन आनि करि बिनती तब
छाड़ि दियो रबि कष्ट निवारो ||
को नहि जानत है जगमें कपि
संकटमोचन नाम तिहारो ||
बालि की त्रास कपीस बसे गिरि
जात महाप्रभु पंथ निहारो |
चोकि महा मुनि साप दियो तब
चाहिए कौन बिचार बिचारो ||
के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु
सो तुम दास के सोक निवारो ||
अंगद के सँग लें गये सिय
खोज कपीस यह बैन उचारो |
जीवत ना बचिहो हम सो जु
बिना सुधि लाय इहा पगु धारो ||
हेरि थके तट सिंधु सबै तब
लाय सिया – सुधि प्राण उबारौ ||
रावण त्रास दई सिय को सब
राक्षसी सो कहि सोक निवारो ||
ताहि समय हनुमान महाप्रभु
जय महा रजनीचर मारो ||
चाहत सीय असोक सो आगि सु
दे प्रभु मुद्रिका सोक निवारो ||
बाण लग्यो उर लछिमन के तब
प्रान तजे सुत रावण मारो | |
तबे गिरि द्रोन सु बीर उपारो ||
आनि सजीवन हाथ दई तब
लछिमन के तुम प्रान उबारो ||
रावन जुद्ध अजान कियो तब
नाग कि फाँस सबै सर डारो ||
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल
मोह भयो यह संकट भारो ||
आनि खगेस तबे हनुमान जु
बंधन काटि सुत्रास निवारो ||
बंधु समेत जबै अहिरावन
ले रघुनाथ पताल सिधारो ||
देबिहिं पूजि भली बिधि सो बलि
देउ सबै मिलि मंत्र बिचारो ||
जाय सहाय भयो तब ही
अहिरावन सैन्य समेत सँहारो ||
काज किये बड़ देवन के तुम
बीर महाप्रभु देखि बिचारो ||
कौन सो संकट मोर गरीब को
जो तुमसों नहि जात है टारो ||
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु
जो कुछ संकट होय हमारो ||
दोहा
लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लँगूर |
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ||
|| इति संकटमोचन हनुमानाष्टक सम्पूर्ण ||
श्रीहनुमानजी की आरती | Hanuman ji ki aarti:
आरती कीजै हनुमान लला की |
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||
जाके बल से गिरिवर काँपे |
रोग दोष जाके निकट न झांके ||
अंजनि पुत्र महा बलदाई |
संतन के प्रभु सदा सहाई ||
दे बीरा रघुनाथ पठाये |
लंका जरि सिय सुधि लाये ||
लंका सो कोट समुंद्र सी खाई |
जात पवनसुत बार न लाई ||
लंका जारि असुर संहारे |
सियारामजी के काज सवारे ||
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे |
आनि संजीवन प्रान उबारे ||
पैठि पताल तोरि जमकारे |
अहिरावन की भूजा उखारे ||
बायें भूजा असुर दाल मारे |
दाहिने भुजा संतजन उचारे ||
कंचन थार कपूर की बाती |
आरती कीजै अंजना माई ||
जो हनुमान जी की आरती गावै |
बसि बैकुंठ परमपद पावै ||
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